મંગલમ્/ભોજન સમયની પ્રાર્થના

From Ekatra Foundation
Jump to navigation Jump to search


ભોજન સમયની પ્રાર્થના

(१)
ॐ सह नाववतु।
सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्विनावधितमस्तु।
मा विद्विषावहै।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः
(२)
प्रारंभमां प्रभुपदे नमीए तमे अमे,
ने ते पछी कृषिकने स्मरीए तमे अमे,
आ अन्न नीतिमय महेनतथी मळेल जे,
ते सत्त्व पोषक बनो, चहीए ज आपणे.
पचेला अन्ननुं भर्ग, बहो वात्सल्य मार्गमां,
आत्माने विश्वनुं श्रेय, संगे सधाय जे थकी।
—संतबालजी
(३)
साथे रमीए साथे जमीए,
साथे करीए सारां काम.
कायम रहेजो आपणी साथे,
घट घट वसता श्रीभगवान.
(४)
अन्न नहीं यह यज्ञ है, ब्रह्माग्नि में है आहुति,
नर शुद्ध चित्त सेवन करें, तब ब्रह्म ही होती मति.
ऐसी किया कर भावना, अर्पण किया कर ब्रह्म को,
कर फिर भोजन प्रेम से, तब सद्‌बुद्धि पावे धर्म को.
—तुकडोजी महाराज