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{{Block center|<poem>गुणिनामपि निजरूपप्रतिपत्तिः परतएव संभवति । | {{Block center|'''<poem>गुणिनामपि निजरूपप्रतिपत्तिः परतएव संभवति । | ||
स्वमहिमदर्शनमक्ष्णोर्मु कुलतले जायते यस्मात् ॥ | स्वमहिमदर्शनमक्ष्णोर्मु कुलतले जायते यस्मात् ॥ | ||
{{right|-सुबन्धु वासवदत्ता}}</poem>}} | {{right|-सुबन्धु वासवदत्ता}}</poem>'''}} | ||
{{Poem2Open}} | {{Poem2Open}} | ||